नई दिल्ली। प्याज के भाव इन दिनों आसमान छू रहे हैं। देश के कुछ इलाकों में इसका खुदरा भाव 100 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। सरकार का कहना है कि यदि हालात नहीं सुधरे तो प्याज पर स्टॉक लिमिट लगाई जा सकती है।
दिल्ली समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में प्याज के खुदरा भाव 70-80 रुपए किलो के बीच हैं। पिछले हफ्ते दिल्ली में प्याज 45 रुपए किलो था। लेकिन, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मुताबिक सोमवार को हैदराबाद में प्याज 100 रुपए किलो बिका। देश के किसी भी अन्य हिस्से में इस साल अब तक प्याज इतना महंगा नहीं बिका।
प्याज महंगा होने की सबसे बड़ी वजह मानसून के आखिर में भारी बारिश बताई जा रही है। महाराष्ट्र जैसे मुख्य उत्पादक राज्यों में अब तक बारिश हो रही है, आम तौर पर सितंबर के आखिर में तेज बारिश नहीं होती। ज्यादा बारिश से महाराष्ट्र में प्याज की फसल को काफी नुकसान हुआ।
इसके अलावा देश के कुछ हिस्सों में बाढ़ भी आई है। चूंकि मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में अब भी बारिश हो रही है, लिहाजा अगले कुछ दिन तक प्याज के भाव गिरने की उम्मीद नहीं है।
थोक में 50 रुपए से ऊपर
दिल्ली के ओखला मंडी में प्याज थोक में 52 रुपए किलो बिका, जो रिटेल 70 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया। इंदौर की थोक मंडी में प्याज 42 रुपए किलो तक रहा, जबकि रिटेल में भाव 60 रुपए किलो तक गए। जयपुर में प्याज 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। जयपुर की लालकोट मंडी में कई दुकानदारों ने प्याज मंहगे होने के बाद तीन से चार अलग-अलग कैटेगरी में बेचना शुरू कर दिया। सबसे सस्ता नींबू के आकार का छोटा प्याज 50 रुपए प्रति किलो बेचा जा रहा है।
स्टॉक कम, नई खेप में देरी
व्यापारियों का कहना है कि प्याज का स्टॉक कम होने और मंडियों में नई खेप न आने की वजह से भाव बढ़ गए हैं। नई फसल आने में अभी वक्त है, लिहाजा महंगे प्याज से तत्काल राहत की उम्मीद नहीं है। हालांकि भाव मौजूदा स्तर से ऊपर जाने की आशंका भी कम ही है।
हालात पर सरकार की नजर
केंद्र सरकार का कहना है कि प्याज की बढ़ती कीमतों पर उसकी नजर है और हालात नियंत्रण से बाहर होने की स्थिति में कड़े फैसले किए जाएंगे। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि यदि प्याज के भाव इसी तरह बढ़ते रहे तो सरकार इस पर स्टॉक लिमिट लगा सकती है।
स्टॉक लिमिट में देरी इसलिए
सरकार यदि प्याज के भाव घटाने के लिए जल्दबाजी में कोई कड़ा फैसला करती है, तो प्याज के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के किसान इसे अपने हितों के खिलाफ मानेंगे। सरकार की दिक्कत यह है कि महराष्ट्र में एक माह से भी कम समय में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में वह किसानों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती।